पौराणिक पात्रों में रावण को सबसे सशक्त खलनायक माना जाता है लेकिन निश्चित रूप से वह इससे कहीं अधिक है.

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यदि रावण में अधर्म अधिक बलवान न होता तो वह देवलोक का भी स्वामी बन सकता था 

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रावण जब पैदा हुआ तब बहुत जोर से रोया. उसके रोने की आवाज से सब डर गए, तब उसका नाम रावण रखा गया.

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रावण भगवान ब्रह्मा के पोते थे. रावण के पिता प्रसिद्ध ऋषि विश्रवा थे, जो स्वयं प्रजापति पुलस्त्य के पुत्र थे, जो ब्रह्मा के दस 'मन जनित' पुत्रों में से एक थे 

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रावण को वेद और संस्कृत का उच्च ज्ञान था. इसलिए राम ने अपने भाई लक्ष्मण को रावण से राज्य कला और कूटनीति में महत्वपूर्ण सबक सीखने को कहा था. 

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रावण अपने पुत्र मेघनाद को अजेय बनाना चाहता था. उन्हें मेघनाद की कुंडली में सही से बैठने के लिए आदेश दिया, लेकिन शनिदवे ने उसकी बात नहीं मानी. इसके बाद रावण शनि देव को ही बंदी बना लिया.

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रावण एक असाधारण वीणा वादक था. ऐसा माना जाता है कि उन्हें संगीत में गहरी दिलचस्पी थी और वे एक बेहद निपुण वीणा वादक थे. 

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वेदों की ऋचाओं को स्वरबद्ध करने का काम रावण ने ही किया था. आसी करने के लिए भगवान शिव ने उसे कहा था. शिव को प्रसन्न करने के लिए उसने कई मंत्रों की रचना की थी. 

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रावण अपनी ताकत से ग्रहों को भी अपने वश में करने की क्षमता रखता है. रावण इतना पराक्रमी और ज्ञानी था कि उसे मारने के लिए खुद भगवान को अवतार लेना पड़ा. 

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रावण जब किसी भी कार्य को हाथ में लेता, तो उसे पूरी निष्पक्षता और कर्तव्यभाव से पूर्ण करता था, यह उसकी खूबी थी. 

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