दुर्योधन दुर्योधन अधर्मी, जिद्दी और मूर्ख भी था। वह गांधारी और धृतराष्ट्र का पुत्र एवं कर्ण का मित्र था, परंतु वह अधिकतर बातें अपने मामा शकुनि की ही मानता था। दुर्योधन की जिद, अहंकार और लालच ने लोगों को यद्ध की आग में झोंक दिया था इसलिए दुर्योधन को महाभारत का खलनायक कहा जाता है।

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घटोत्कच घटोत्कच भीम और हिडिंबा का पुत्र था और बहुत बलशाली था। घटोत्कच बर्बरीक (खाटू श्याम) का पिता था। वह महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक था।

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भीम भीम या भीमसेन पाण्डवों में दूसरे स्थान पर थे। वे पवनदेव के वरदान स्वरूप कुन्ती से उत्पन्न हुए थे, लेकिन अन्य पाण्डवों के विपरीत भीम की प्रशंसा पाण्डु द्वारा की गई थी। सभी पाण्डवों में वे सर्वाधिक बलशाली और श्रेष्ठ कद-काठी के थे एवं युधिष्ठिर के सबसे प्रिय सहोदर थे।

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धृष्टद्युम्न राजा द्रुपद का पुत्र और द्रौपदी का भाई जो पांडवों की सेना का एक नायक था

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द्रोण द्रोणाचार्य ऋषि भारद्वाज तथा घृतार्ची नामक अप्सरा के पुत्र तथा ध कुरू प्रदेश में पांडु के पुत्रों तथा धृतराष्ट्र पुत्रों के वे गुरु थे। महाभारत युद्ध के समय वह कौरव पक्ष के सेनापति थे।

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अभिमन्यु अभिमन्यु अर्जुन के पुत्र थे। 15 वर्ष की आयु में फाल्गुन मास में उनका विवाह उत्तरा से हुआ था । 16 वर्ष की आयु में आषाढ़ मास में जिस दिन ये महाभारत के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे उससे एक दिन पूर्व हीं अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा ने गर्भधारण किया था ।

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भीष्म वे राजा शांतनु औरस पुत्र व गंगा के गर्भ से जन्मे थे. उन्होंने अपने पिता के विवाह के लिए प्रतिज्ञा ली थी. भीष्म पितामह महाभारत काल के प्रमुख पात्रों में एक हैं. ब्रह्मचारी रहने व राजा नहीं बनने की अपनी प्रतिज्ञा को उन्होंने आजीवन निभाया था

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अर्जुन अर्जुन सबसे अच्छे धनुर्धर और द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे। जीवन में अनेक अवसर पर उन्होंने अपने श्रेष्ठ धनुर्धारी होने का परिचय दिया। इन्होंने द्रौपदी को स्वयंवर में जीता था। कुरूक्षेत्र युद्ध में ये भी एक प्रमुख योद्धा थे।

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कर्ण कर्ण महाभारत के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारियों में से एक थे। कर्ण छ: पांडवों में सबसे बड़े भाई थे । भगवान परशुराम ने स्वयं कर्ण की श्रेष्ठता को स्वीकार किया था । कर्ण की वास्तविक माँ कुन्ती थीं और कर्ण और उनके छ: भाइयों के धर्मपिता महाराज पांडु थे।

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कृष्ण भगवान कृष्ण को विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। हालाँकि उन्होंने युद्ध में न लड़ने का वादा किया था, फिर भी वे महाभारत की पूरी कहानी में सबसे महान और सबसे शक्तिशाली योद्धा हैं। यदि वह युद्ध में उतरते तो पलक झपकते ही युद्ध समाप्त हो जाता।

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