BA LLB and BBA LLB New Syllabus in PDF : नमस्कार दोस्तों आज की पोस्ट BA LLB & BBA LLB Sllyabus 2022 in PDF Free Download में आपका स्वागत है | जो अभ्यर्थी BA LLB and BBA LLB CCSU and DU या फिर किसी भी अन्य University से कर रहे है उन सभी अभ्यर्थियो के लिए आज की पोस्ट बहुत ही म्हत्त्प्वूर्ण होने जा रही है | हम अभ्यर्थियो को अपनी वेबसाइट SscLatestNews.Com के माध्यम से जल्द ही BA LLB Books and Notes in Hindi English PDF में शेयर भी कर देंगे |
हमने अभ्यर्थियो के लिए BA Books and Notes in PDF Post बनाकर पहले ही शेयर कर चुके है जिसका लिंक आपको इसी पोस्ट में मिल जायेगा | जो अभ्यर्थी LLB Books Previous Year Questions answers Papers in Hindi English PDF में पढ़ना चाहते है उन सभी अभ्यर्थियो के लिए भी हमारी आज की पोस्ट बहुत ही म्हत्त्प्वूर्ण होने जा रही है हम अपनी आज की पोस्ट में LLB Notes in PDF का लिंक भी शेयर कर रहे है जिसे अप उपर दिए गये मेनूबार से जाकर प्राप्त कर सकते है |
BBA LLB and BA LLB Course 5 Year के होते है जिसे आप किसी भी राज्य की सरकारी व गैरसरकारी University से कर सकते है | आज के समय में BA LLB Course बहुत ही चर्चित विषय होते जा रहे है जिसे काफी संख्या में अभ्यर्थी कर रहे है | हम अभ्यर्थियो को निचे टेबल में BA LLB and BBA LLB Course Syllabus in PDF में Free शेयर कर रहे है जिसे पढ़ने के बाद आप यह जान पाएंगे की BA LLB and BBA LLB Exam Course में कौन कौन से Subject होते है |
UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Abhiprerna aur Adhigam Study Material PDF : आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी UPTET and CTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Chapter 3.5 अभिप्रेरण और अधिगम Study Material in Hindi with PDF Free Download करना जा रहे है जिसका लिंक आपको निचे टेबल में दिया जा रहा है |
अभिप्रेरण और अधिगम Motivation & and | UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Chapter 3.5 Study Material in Hindi
अभिप्रेरण Motivation
ली एवं लेविस (Reilly and Lewis) के अनुसार, अभिप्ररेण एक ऐसा बल है को व्यक्ति के अन्दर उत्पन्न होता है न कि कुछ ऐसी चीज जिसे शिक्षक छात्र में अपनी ओर से पैदा करते हैं।
ब्लेयर, जोंस एवं सिम्प्सन (Blair, Jones & Simpson) के अनुसार, अभिप्रेरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शिक्षार्थी की आंतरिक शक्ति वातावरण के विभिन्न लक्ष्य वस्तुओं की ओर निर्देशित होती है।
अभिप्रेरण का वर्गीकरण
मनोवैज्ञानिकों ने अभिप्रेरण को दो भागों में बाँटा है—
1. शारीरिक या जैविक अभिप्रेरण (Physical or Biogenic Motives) शारीरिक अभिप्रेरण वैसे अभिप्रेरण को कहा जाता है जो व्यक्ति को जीवित रहने के लिए आवश्यक है और यह जन्म से ही बालक में मौजूद रहता है।
> ये अभिप्रेरण सार्विक (Universal) होते हैं, क्योंकि ये सभी व्यक्तियों में एक ही रूप में पाये जाते हैं। इनमें भूख, प्यास, नींद, दर्द-परिवर्जन इत्यादि प्रमुख हैं तथा यह सभी देश एवं काल के लोगों में एक ही रूप में पाये जाते हैं।
→ शारीरिक अभिप्रेरण से बालकों में समस्थिति (Homeostasis) अर्थात् शरीर के भीतर संतुलन बनाये रखने का गुण होता है। जैसे जब व्यक्ति को भूख लगती है, तो उसके भीतर एक तनाव उत्पन्न होता है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति भोजन की खोज करता है और भोजन मिलने पर तनाव कम हो जाता है।
2. अर्जित या सीखा हुआ अभिप्रेरण (Acquired or Learned Motives) अर्जित मरण ऐसे अभिप्रेरण को कहा जाता है, जिसमें निम्नलिखित विशेषताएँ होती है
स अभिप्रेरण जन्मजात नहीं होते अर्थात ऐसे अभिप्रेरकों को व्यक्ति अपने जन्म के बाद सीखता है।
आभप्रेरण सार्विक (Universal) नहीं होते हैं अर्थात ऐसे अभिप्रेरण सभी भक्तयों में नहीं होते तथा उनका रूप भी अक्सर भिन्न-भिन्न होता है। जामप्रेरण व्यक्तियों के जीवित (Survival) रहने के लिए आवश्यक नहीं होते है। जाभप्ररणों का समस्थिति (Homeostasis) से भी कोई संबंध नहीं होता है।
शक्षा के दृष्टिकोण से अर्जित अभिप्रेरण निम्नलिखित हैं-
1. उपलब्धि अभिप्रेरण (Achievement Motivation): उपलब्धि अभिप्रेरण से तात्पर्य एक ऐसे अभिप्रेरण से होता है जिससे प्रेरित होकर बालक अपने कार्य को इस ढंग से करता है कि उसे अधिक से अधिक सफलता मिल सके।
> रिली एवं लेविस (Reilly and Lewis) के अनुसार, किसी चीज को अपने में करने, उसे अच्छे से अच्छे ढंग से करने तथा उसमें विशिष्टता दिखाने की स्वीकारात्मक इच्छा को उपलब्धि अभिप्रेरण कहा जाता है।
2. संबंधन अभिप्रेरण (Affiliation motivation) अपने साथियों एवं अन्य लोगों के समूह में मान्यता प्राप्त करने की प्रवृति को संबंधन अभिप्रेरण कहा जाता है। यह अभिप्रेरण सभी उम्र के व्यक्तियों में होता है, परंतु प्रारंभिक किशोरावस्था में यानी 13___ 15 वर्ष की उम्र का अभिप्रेरण सबसे अधिक स्पष्ट एवं विशिष्ट होता है। इस अवस्था में किशोरों में अपने साथियों का समर्थन पाने तथा माता-पिता एवं शिक्षकों की प्रशंसा । पाने की इच्छा तीव्रतम होती है।
3. चिंता ह्रास (Anxiety Reduction) चिंता ह्रास का अभिप्राय बालकों में सीखे जाने वाले पाठ के प्रति तनाव तथा चिंता को बिल्कुल ही समाप्त करने से नहीं, बल्कि चिंता के स्तर को इस लायक बनाकर रखने से होता है जो उसे पाठ को सीखने में मदद कर सके।
> शिक्षकों के लिए चिंता ह्रास का आशय है उन्हें वर्ग में छात्रों के चिंता स्तर को
संतुलित बिंदु पर रखना चाहिए ताकि वे उनके शिक्षण से अधिकतम लाभ उठा सकें।
4. सत्ता अभिप्रेरण (Power motivation) सत्ता अभिप्रेरण मानव के बहुत से व्यवहारों का आधार होता है। उनके अनुसार व्यक्ति हीनता के भाव को नहीं बर्दाश्त कर सकता है, बल्कि उसके स्थान पर श्रेष्ठता का भाव विकसित कर लेता है। – इसी भावना के कारण वह उन सभी कार्यों को करने के लिए अभिप्रेरित हो उठता है, जिनसे उसमें नियंत्रण करने, प्रभुत्व दिखाने एवं सत्ता में रहने के भाव की उत्पत्ति होती है। बालक तीव्रता से उन क्रियाओं को करना सीख लेता है, जिनसे उनमें श्रेष्ठता, सत्ता एवं दूसरों को नियंत्रित करने का भाव उत्पन्न होता है। उन कार्यों से दूर रहना सीख लेता है, जिनसे उनमें हीनता या लाचारी का भाव उत्पन्न होता है।
5. आक्रमणशीलता का अभिप्रेरण (Motive of aggressiveness): आक्रम शीलता भी एक प्रमुख अर्जित अभिप्रेरक हैं, जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को शाब्दिक रूप से या शारीरिक रूप से चोट पहुँचाने या आघात पहुँचाने की कोशिश करता है अनमोदन अभिप्रेरण (Approval motivation) अनमोदन अभिप्ररण तात्पर्य व्यक्ति द्वारा धनात्मक मूल्यांकन यानी प्रतिष्ठा, प्रशंसा इत्यादि पाने की उम्मीद से होता है। 6 वर्ष से कम उम्र के बालकों में माता पिता का अनुमोदन पाने की तीव्र इच्छा होती है। जब बालक स्कूल में प्रवेश करते हैं तब वे शिक्षक, साथियों तथा अपने से अधिक उम्र के बालकों से अनुमोदन के लिए प्रयत्नशील रहते हैं।
मैस्लो का अभिप्रेरणा सिद्धांत Maslow’s Law of Motivation
सलो के अभिप्रेरणा सिद्धांत को आवश्यकता का सिद्धांत कहा जाता है। मैसले ने ध्यकता के सिद्धांत को 5 शृंखलाबद्ध क्रम में विभाजित किया है।
स्वयं यर्थाथीकरण
सम्मान/आदर
सामाजिक आवश्यकता
सुरक्षा आधारभूत आवश्यकता (रोटी. कपड़ा और मकान)
सीखने में अभिप्रेरण का महत्व Importance of Motivation in Learning – मेल्टन (Melton) के अनुसार, “अभिप्रेरण सीखने की एक आवश्यक शर्त है।” एण्डरसन (Anderson) के अनुसार, “सीखने की प्रक्रिया अच्छी तरह तभी होगी जबकि अभिप्रेरण होगा।’
शिक्षा मनोवैज्ञिानिकों ने अभिप्रेरण को राजकीय मार्ग कहा है। अभिप्रेरण का प्रभाव सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। जो इस प्रकार हैसीखने का उद्देश्य (Purpose to Learn) पुरस्कार एवं दंड (Reward and Punishment) प्रगति तथा परिणाम का ज्ञान (Knowledge of Progress and Results) प्रशंसा एवं निंदा (Praise and Reproof) स्पर्धा, प्रतियोगिता तथा सहयोगिता (Rivalry, Competition and Operation) लक्ष्य निर्धारण व्यवहार या आकांक्षा स्तर प्रोत्साहन के रूप में सामाजिक अनुमोदन प्रोत्साहन के रूप में व्यावसायिक लक्ष्य परीक्षोपयोगी तथ्य आभप्रेरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शिक्षार्थी की आंतरिक शक्ति वातावरण के विभिन्न लक्ष्य वस्तुओं की ओर निर्देशित होती है। शारारिक अभिप्रेरण जन्म से ही बालक में मौजूद रहते हैं जैसे नीद, भूख, प्यास, दर्द-परिवर्जन इत्यादि।
> शारीरिक अभिप्रेरण से बालकों में समस्थिति (Homeostasis) अर्थात् शरीर के अंदर संतुलन बनाये रखने का गुण होता है।
> अर्जित अभिप्रेरण जन्म के बाद बालक सीखता है।
> मैसले के अभिप्रेरणा के सिद्धांत को आवश्यकता का सिद्धांत भी कहा जाता है।
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UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Sangyan Ttha Smveg Study Material PDF : नमस्कार दोस्तों आज की पोस्ट में आप UPTET and CTET Bal Vikas Evam shiksha Shastra Chapter 3.4 संज्ञान तथा संवेग in Hindi PDF में Free Download करने जा रहे है |
हम अभ्यर्थियो के लिए रोजाना Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Books Chapter Wise Study Material With PDF में शेयर कर रहे है उम्मीद है आपको हमार द्वारा बनाये जा रहे है UPTET and CTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Chapter को अच्छे से पढ़ रहे होंगे | Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Books सभी TET Exam Question Answer Paper के लिए बहुत ही म्हत्त्प्वूर्ण मानी जाती है जिसे हम रोजाना Chapter Wise Share कर रहे है |
अभ्यर्थियो को बता दे की हम इस पोस्ट से पहले भी UPTET and CTET All Books and Notes in Hindi English PDF में भी शेयर कर चुके है जिसका लिंक आपको उपर मेनूबार में दिया जा रहा है | अभ्यर्थी निचे दिए जा रहे टेबल पर जाकर Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Books Chapter 3.4 संज्ञान तथा संवेग in Hindi PDF में Free Download कर सकते है |
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UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Baccha Study Material PDF : नमस्कार दोस्तों आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Books and Notes Chapter 3.3 बच्चा, एक समस्या-समाधक तथा वैज्ञानिक अनवेषक के रूप में जिसे आप in Hindi Free Download करने जा रहे है |
अभ्यर्थियो को बता दे की रोजाना हम आपके लिए Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Books Chapter Wise शेयर करते रहते है जिसके सभी Chapter आप उपर दिए गये लिंक पर क्लीक करने प्राप्त कर सकते है |
Bal Viaks Evam Shiksha Shastra Books All TET Exam Question Paper में बहुत ही म्हत्त्प्वूर्ण मानी जाती है यदि आप UPTET या CTET Exam Question Paper 2022 की तैयारी कर रहे है तो हमारे द्वारा बनाई जा रही है Bal Vikas Evam shiksha Shastra Books के सभी Chapter आप Free PDF में Download करके तैयारी कर सकते है | अभ्यर्थी निचे दिए जा रहे Table में Bal Vikas Evam shiksha Shastra Books Chapter 3.3 बच्चा, एक समस्या-समाधक तथा वैज्ञानिक अनवेषक के रूप में PDF download कर सकते है |
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UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Shikshan Evam Adhigam Study Material PDF : Uttar Pradesh Teacher Eligibility Test (UPTET) and Central Teacher Eligibility Test (CTET) Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Books & Notes Chapter 3.2 शिक्षण एवं अधिगम in Hindi PDF में Free Download करने जा रहे है जिसे आप सबसे निचे दिए गये टेबल पर download के लिंक पर जाकर प्राप्त कर सकते है | Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Books सभी राज्यों के TET Exam में Questions के रूप में पूछी जाती है जो सभी TET Exam Question Answer Paper की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियो के लिए बहुत ही म्हत्त्प्वूर्ण है |
Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Books हम रोजाना Chapter Wise / Topic Wise in Hindi PDF and Study Material में शेयर कर रहे है जिसका लिंक भी हम आपको इसी पोस्ट में शेयर भी कर रहे है |
UPTET Exam Question Answer Model Sample Paper 2022 के लिए Online Notification जारी होने ही वाला है जिसकी तैयारी के लिए हम आपको रोजान UPTET and CTET Books and notes Chapter Wise शेयर भी कर रहे है | अभ्यर्थी निचे दिए गए लिंक के माध्यम से Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Chapter 3.2 in Hindi PDF में free Download कर सकते है |
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CCC MS Office Notes Questions & Answers PDF Download : नमस्कार दोस्तों में एक बारे फिर से स्वागत है आप सभी का हमारी वेबसाइट SscLatestNews.Com में जिसमे आज आप NIELIT (DOEACC) CCC Exam Question Paper 2022 की तैयारी के लिए CCC MS Office Notes Books With Previous Year Questions Answer in Hindi English PDF Free Download करने जा रहे है जिसका लिंक आपको निचे टेबल में दिया जा रहा है |
CCC Exam Questions Answers Papers 2022 की तैयारी के लिए हम पहले भी हम कई पोस्ट बनाकर शेयर कर चुके है जिसका लिंक भी हम आपको अपनी इसी पोस्ट में शेयर भी करने जा रहे है | कुछ अभ्यर्थियो ने कहा था की Libra Office Question Answer को भी CCC में पूछा जाता है लेकिन हम अभ्यर्थियो को बता दे की हमें इस तरह की भी जानकारी नही मिली है यानी की CCC Exam Question Paper में Libra Office के Questions का इस्तेमाल नही किया जाता है |
अभ्यर्थियो के लिए हम पहले भी CCC Arihant, Vidya Publication NIELIT CCC Books and Notes in PDF में बनाकर पहले ही शेयर कर चुके है जिसे आप उपर दिए गये मेनूबार से जाकर प्राप्त कर सकते है | CCC Exam Quotation Answer Model Sample Paper 2022 की तैयारी के लिए CCC Online Demo Test बहुत ही म्हत्त्प्वूर्ण माना जाता है जिसे करने के बाद आप घर बैठे CCC Exam Question Answer Paper को आसानी से सफल कर सकते है | अभ्यर्थियो को बता दे की निचे दिए गए लिंक में आपको CCC Ms, Word, MS Excel, Ms Access, MS Dos with PowerPoint Notes Questions Answers in PDF में मिलने वाले है जो CCC Exam 2022 में आपको सफलता जरुर दिलाएंगे |
UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Samaveshi Shiksha Objective Question Answer: नमस्कार दोस्त में दीपक कुमार आप सभी का फिर से स्वागत करता हूँ हमारी Website SscLatestNews.Com में, आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Books & Notes Chapter 2.5 Objective Type Questions Answers in Hindi PDF में Free Download करने जा रहे है जिसका लिंक आपको सबसे निचे टेबल में दिया गया है |
UPTET CTET और सभी राज्यों में TET Exam Question Answer Paper 2022 में Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Books को बहुत ही म्हत्त्प्वूर्ण माना जाता है जिसकी तैयारी के लिए अभ्यर्थी कौचिग सेंटर भी ज्वाइन करते है | अभ्यर्थियो को बता दे की हमारी वेबसाइट के माध्यम से आप आने वाले UPTET Exam Paper 2022 की तैयारी के लिए All TET Books notes Previous year Questions Answers Sample Model Paper in Hindi and English PDF में Free Download कर सकते है जिसके लिए आपको हमारी वेबसाइट को किसी भी तरह का कोई भी शुल्क नही देना होगा |
हमारी इस पोस्ट में आपको समावेशी शिक्षा के सिद्धांत PDF और साथ ही Study Material in Hindi में दिए गये जिसे UPTET Exam Paper में बहुत ही म्हत्त्प्वूर्ण माना जाता है | अभ्यर्थी निचे दिए गये टेबल से UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Objective Question With Answer PDF में Free download कर सकते है |
Download समावेशी शिक्षा का सिद्धांत Objective Type Question Answer in Hindi
UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Chapter 2.5 in PDF
UPTET Baccho ka Sochna Evam Sikhna Study Material in Hindi : नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से स्वागत करते है आप सभी का हमारी वेबसाइट SscLatestnews.Com में, आज की इस पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी UPTET and CTET Lucent’s Books Chapter 3.1 बच्चो का सोचना एवं सीखना Study Materail in Hindi PDF Download करने जा रहे है जिसके लिए आपको सबसे निचे दिए गए टेबल पर जाकर प्राप्त करना होगा |
Baccho ka Sochna Evam Sikhna TET Exam Question paper 2022 के लिए बहुत ही म्हत्त्प्वूर्ण माना जा रहा है उम्मीद है की आन वाले UPTET and CTET Exam Question Paper 2022 में Chapter 3.1 बच्चो का सोचना एवं सीखना के Questions को जरुर पूछा जायेगा |
UPTET and CTET Exam Question की तैयारी के लिए हम अभ्यर्थियो को रोजाना UPTET Books and Notes Chapter Wise / Topic Wise Share करते रहते है जिसका लिंक भी हम आपको इसी पोस्ट में शेयर करेंगे | अभ्यर्थी निचे दिए गए टेबल पर जाकर UPTET Chapter 3.1 PDF में Free Download कर सकते है |
Download UPTET Chapter 3.1 बच्चो का सोचना एवं सीखना in PDF
UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Books Chapter 3.1 in PDF
UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Pratibhashali Study Material in Hindi : आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी UPTET and CTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Books Chapter 2.4 प्रतिभाशाली, स्रजनात्मक तथा विशेष आवश्यकता वाले बालक Study Material in Hindi PDF Free Download करने जा रहे है |
प्रतिभाशाली, सृजनात्मक तथा विशेष आवश्यकता वाले बालक | UPTET Bal Vikas Evam Shiksha Shastra Chapter 2.4 Study Material in Hindi
प्रतिभाशाली बालक Talented Children
पॉल विट्टी के अनुसार, “प्रखर बुद्धि बालक वह है जो किसी कार्य को करने प्रयास में निरन्तर उच्च स्तर बनाये रखता है।”
कॉलसनिक के अनुसार, “वह बालक जो अपनी आयु-स्तर के बालकों में किसी योग्यता में अधिक हो और जो हमारे समाज के लिए कुछ महत्वपूर्ण नई देनदे।”
टरमन के अनुसार, “प्रतिभावान बालक शारीरिक विकास, शैक्षणिक उपलब्धि बनि और व्यक्तित्व में वरिष्ठ होते हैं।’
प्रतिभावान बालकों के अंतर्गत उच्च बुद्धिलब्धि वाले बालक के साथ-साथ वे सभी बालक सम्मिलित होते हैं, जो दूसरे बालकों से किसी भी क्षेत्र में अति वरिष्ठ होते हैं, जैसे—कलावर्ग, साहित्य, काव्य-रचना आदि।
प्रतिभाशाली बालकों की विशेषताएँ
प्रतिभाशाली बालकों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
★ प्रतिभाशाली बालकों में सीखने की गति तीव्र एवं शुद्ध होती है तथा स्मरण शक्ति उच्च स्तर की होती है।
प्रतिभाशाली बालकों की बुद्धिलब्धि 120 से अधिक होती है। ऐसे बालक अपनी कमियों को स्वयं पहचानते हैं त सुझाव आसानी से मान लेते हैं।
* ऐसे बालकों में सामान्य ज्ञान का स्तर उच्च होता है और शब्दकोश विस्तृत होता है।
* ऐसे बालकों का शारीरिक, मानसिक एवं भावात्मक विकास अन्य बालकों की अपेक्षा उच्च कोटि का होता है।
★ ऐसे बालकों में सीखने की गति एवं प्रश्नों के उत्तर देने की गति तीव्र होती है।
★ ऐसे बालक अधिक महत्वाकांक्षी एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के होते हैं।
★ ऐसे बालक किसी घटना का निरीक्षण बारीकी के साथ करते हैं। प्रतिभावान बालकों की पहचान प्रतिभावान बालकों की पहचान के लिए अध्यापक निम्नलिखित विधियों का उपयोग कर सकते हैं
(a) प्रतिभावान बालकों के व्यक्तित्व के बारे में अध्यापक अन्य व्यक्तियों से भी सूचनाएँ एकत्रित कर सकता है।
(b) बुद्धि परी बद्धि परीक्षणों के द्वारा प्रतिभावान बालकों की पहचान अध्यापक कर सकते हैं।
डी डॉन और कफ ने प्रतिभावान बालक के गुणों की एक ऐसी सूची तैयार की जिसके आधार पर प्रतिभावान बालकों का पता लगाया जा सकता है। यह सूची इस प्रकार है-
* सामान्य बुद्धि का प्रयोग अधिक करते हैं।
★ शब्द ज्ञान बहुत विस्तृत होता है।
★ मौलिक चिन्तन कर सकते हैं। + ये स्पष्ट रूप से सोचने, अर्थों को समझने और सम्बन्धों की पहचान करने में श्रेष्ठ होते हैं।
कठिन कार्यों को आसानी से कर लेते हैं। (त) उपलब्धि परीक्षाओं के द्वारा भी प्रतिभावान बालक की पहचान अध्यापक करते हैं।
(e) अभिरुचि परीक्षाओं से भी छात्र की प्रतिभा का अनुमान लगाया जा सकता है। प्रतिभावान बालकों की शैक्षिक व्यवस्था प्रतिभावान बालकों के लिए कुछ विशेष शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है। ये शैक्षिक व्यवस्थाएँ इस प्रकार होनी चाहिए
(a) अध्यापकों को चाहिए कि प्रतिभावान बालकों में सृजनात्मक शक्ति का उचित प्रयोग कर उन्हें समाज-विरोधी गतिविधि में सम्मिलित नहीं होने दें। ऐसी शिक्षा बालकों को प्रदान करनी चाहिए ताकि वे सामाजिक बुराइयों से दूर रह सकें। (b) कक्षा में छात्रों को तीव्र प्रोन्नति नहीं प्रदान करना चाहिए। (c) प्रतिभावान बालकों की शिक्षा ऐसे बालकों के ध्यानपूर्वक अध्ययन पर आधारित होना चाहिए।
(d) प्रतिभावान बालकों की शिक्षा उसके व्यक्तित्व के सभी पक्षों के विकास पर केन्द्रित होनी चाहिए। प्रतिभावान बालक को सर्वांगीण विकास के लिए अध्यापक को अत्यधिक परिश्रम करने की आवश्यकता होती है। अतः इस कार्य के लिए उसे कक्षा और स्कूल में अधिक सक्रिय रखना चाहिए।
(e)प्रतिभावान बालकों को पाठ्यक्रम समझने में सामान्य बालकों से कम समय लगता है। यह बचा हुआ समय उन्हें किसी और कार्य में उपयोग करना चाहिए।
(f) प्रतिभावान बालकों को घर के लिए विशेष कार्य दिया जाना चाहिए ताकि वे अपनी प्रतिभा का उचित उपयोग कर सकें।
(g) प्रतिभावान बालकों की शिक्षा के लिए और उनमें नेतृत्व विकास के लिए उत्तरदायित्व का कार्य सौंपना चाहिए।
सृजनात्मकता (Creativity) “सृजनात्मकता वह अवधारणा है जिसमें उपलब्ध साधनों नवीन या अनजानी वस्तु, विचार या धारणा को जन्म दिया जाता है। सृजनात्मकता | अर्थ है रचना सम्बन्धी योग्यता नवीन उत्पाद की रचना। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से जनात्मक स्थिति अन्वेषणात्मक होती है।”
रूश (Rush) के अनुसार, “सृजनात्मक मौलिकता वास्तव में किसी भी क्रिया में घटित होती है।’
सृजनात्मकता के तत्व Elements of Creativity
गिलफोर्ड के अनुसार सृजनात्मकता के तत्व निम्नलिखित हैं-
(a) तात्कालिक स्थिति से परे जाने की योग्यता : जो व्यक्ति वर्तमान परिस्थिति से हटकर, उससे आगे की सोचता है और अपने चिन्तन को मूर्त रूप देता है सृजनात्मक तत्व पाया जाता है।
(b) समस्या की पुनर्व्याख्या : सृजनात्मकता का एक-एक तत्व समस्या की पना है। वकील, अध्यापक, व्याख्याता, नेता आदि इस रूप में सृजनात्मक कहलाते हैं कि समस्या की व्याख्या अपने ढंग से करते हैं।
(c) सामंजस्य : जो बालक तथा व्यक्ति असामान्य किन्तु प्रासंगिक विचार तथा तथ्यों के साथ समन्वय स्थापित करते हैं, वे सृजनात्मक कहलाते हैं।
(d) अन्य के विचारों में परिवर्तन : ऐसे व्यक्तियों में भी सृजनात्मकता विद्यमान रहती है, जो तर्क, चिन्तन तथा प्रमाण द्वारा व्यक्तियों के विचारों में परिवर्तन कर देते हैं।
सृजनात्मकता की विशेषताएँ Characteristics of Creativity
हरलॉक के अनुसार सृजनात्मकता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(a) सृजनात्मकता एक प्रक्रिया या योग्यता है, यह उत्पादन नहीं है।
(b) सृजनात्मकता की प्रक्रिया लक्ष्य निर्देशित होती है अथवा यह समूह और समाज के लिए लाभदायक होती है।
(c) सृजनात्मकता मौखिक हो या लिखित, यह चाहे मूर्त हो या अमूर्त, प्रत्येक अवस्था में व्यक्ति के लिए यह अभूतपूर्व होती है।
(d) सृजनात्मकता चिन्तन का एक तरीका है। यह बुद्धि का पर्यायवाची नहीं है। (e) सृजन (Creation) की योग्यता मान्य ज्ञान के अर्जन पर आधारित है।
(0 सृजनात्मकता एक प्रकार की नियमित कल्पना है जिससे किसी-न-किसी उपलब्धि का निर्देशन प्राप्त होता है।
सृजनात्मकता की पहचान Identification of Creativity
सजनात्मकता की पहचान करना शिक्षक के लिए अत्यन्त आवश्यक है। सृजनशाल बालकों की पहचान इस प्रकार की जा सकती है
(a) सृजनशील बालकों में मौलिकता के दर्शन होते हैं। सृजनशील बालकों का दृष्टिकोण सामान्य व्यक्तियों से अलग होता है।
(b) स्वतन्त्र निर्णय की क्षमता सृजनशील की पहचान है।
(c) परिहासप्रियता भी सृजनात्मकता की पहचान है।
उत्सुकता भी सृजनात्मकता का एक आवश्यक तत्व है।
सजनशील बालको मे संवेदनशीलता अधिक पायी जाती है।
सजनशील बालको मे स्वायत्तता का भाव पाया जाता है।
लकों के लिए सृजनात्मकता का महत्व importance of Creativity for Children
सजनात्मकता का बालकों के लिए बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इससे बालकों को सन्तोष ही प्राप्त नहीं होता है बल्कि बालक को इससे व्यक्तिगत आनन्द भी प्राप्त होता है। सृजनात्मकता से प्राप्त सन्तोष और आनन्द का बालकों के व्यक्तित्व पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, बच्चे अपने खेल में जब किसी नई खोज का सृजन करते हैं तो उन्हें बहुत आनन्द आता है और सन्तोष प्राप्त होता है। वह अपने खेल में किसी डिब्बे को उल्टा कर लकड़ी से पीटने वाला बाजा बना सकते हैं, दो कुर्सियों पर चादर ढंक कर छुपने के लिए घर बना सकते हैं या दीवार पर अपने ढंग से स्याही, पेन्सिल या खड़िया से ड्राइंग बना सकते हैं।
सजनात्मकता का परीक्षण Experiments of Creativity
सृजनात्मकता की पहचान के लिए गिलफोर्ड ने अनेक परीक्षणों का निर्माण किया है। ये परीक्षण निरन्तरता (Fluency), लोचनीयता (Flexibility), मौलिकता (Originality) तथा विस्तार (Elaboration) का मापन करते हैं। ये परीक्षण निम्नलिखित हैं-
★ चित्र-पूर्ति परीक्षण → चित्रपूर्ति परीक्षण में अपूर्ण चित्रों को पूरा करना पड़ता है। ★ वृत-परीक्षण → इस परीक्षण में वृत्त (Circle) में चित्र बनाये जाते हैं। ★ प्रोडक्ट इम्प्रूवमेन्ट टारक → चूने के खिलौनों द्वारा नूतन विचारों को लेखबद्ध
करके सृजनात्मकता पर बल दिया जाता है। ★ टीन के डिब्बे → खाली डिब्बों से नवीन वस्तुओं का सृजन कराया जाता है। फायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त Freud’s Psycho-Analytical Theory – फ्रायड पहला व्यक्ति था जिसने सर्वप्रथम बाल्यावस्था के अनुभवों को वयस्क व्यवहार र चेतन्यता का आधार बताया। फ्रायड के अनुसार व्यक्तित्व के तीन भाग हैं- ld, Ego और Super Ego
इड (ID): अचेतन मस्तिष्क का प्रतिनिधित्व करता है। अचेतन में निहित विभिन्न कार की इच्छाओं, प्रेरणाओं और वासनाओं की तुरन्त सन्तुष्टि चाहता है। यह सुखवादी सिद्धान्तों से पूर्णतः प्रभावित होता है।
इगो (Ego): यह इड का ही विकसित रूप है, व्यक्तित्व का तार्किक व्यवस्थित कपूर्ण भाग है। परन्तु इसे शक्ति इड से ही प्राप्त होती है। यह वातावरण के साथ माता करके इड की Super Ego इच्छाओं को पूरा करने में मदद कराता है।
सुपर इगो (Super Ego): व्यक्ति का अन्त में विकसित होने वाला नैतिक पक्ष यह बाल्यावस्था में इगो से ही विकसित होता है।
उदाहरण माना कि एक लड़की सड़क पर जा रही है। उसी दिशा में जा रहे लड़के के मन में उस लड़की के साथ कुछ गलत करने की इच्छा उठती है फिर लडकी मन में दूसरी इच्छा उठती है कि यह जगह उपयुक्त नहीं है, कोई देख लेगा तो पिटा होगी। आगे जाने के बाद जहाँ सुनसान है वहाँ इसके साथ यह करना उपयुक्त होगा। लड़की के पीछे चलते-चलते उसके मन में तीसरी इच्छा उठती है कि यह एक असहाय लड़की किसी की बहन हो सकती है, हमारी बहन के समान हो सकती है तथा किसी के साथ कुछ भी गलत नहीं करना चाहिए।
अतः लड़के के मन में उत्पन्न पहली इच्छा इड (ID) की है, दूसरी इगो (Ego) की इच्छा है और तीसरी सुपर इगो (Super Ego) की इच्छा है।
विशिष्ट बालक Special Children
> विशिष्ट बालक को हेवार्ड एवं औरलैन्स्की (Heward & Orlansky) ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘एक्सेप्शनल चिल्ड्रेन’ में इस प्रकार परिभाषित किया है “विशिष्ट एक ऐसा अंतर्रोशित पद है जिसका तात्पर्य किसी भी वैसे बालक से होता है जिसका निष्पादन मानक (Norm) से ऊपर या नीचे इस हद तक विचलित होता है कि उसके लिए विशेष शिक्षा के कार्यक्रम की जरूरत होती है।”
विशिष्ट बालकों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(a) विशिष्ट बालक सामान्य या औसत बालकों से कई तरह के गुणों में (जिसमें मानसिक एवं शारीरिक गुण मुख्य होता है) विचलित होते हैं।
(b) विशिष्ट बालकों का विचलन इस सीमा तक होता है कि उन्हें विशेष शिक्षा देने की जरूरत होती है।
(c) विशिष्ट बालकों से शिक्षकों को सबसे अधिक चुनौती मिलती है। अतः ऐसे बालकों पर शिक्षकों का ध्यान सबसे अधिक होता है।
(d) ऐसे बालकों पर माता-पिता, अभिभावक एवं सामाजिक संगठन द्वारा भी विशेष नजर रखी जाती है।
अधिगम अक्षम बालकों की शिक्षा
अधिगम अक्षम बालकों की शिक्षा के लिए दो उपागम का प्रयोग किया जाता है+ कौशल प्रशिक्षण उपागम
→ यह उपागम बालक के विशिष्ट कौशलों के विषय
में सीधे मापन पर आधारित है। योग्यता प्रशिक्षण उपागम → ऐसे उपागम का प्रयोग बालक की आधारभूत योग्यताओं में व्याप्त अक्षमताओं में सुधार के लिए निर्देशात्मक प्रक्रियाओं के निर्माण पर मुख्य रूप से किया जाता है।
प्रतिभाशाली बालक वे हैं जिनकी बुद्धिलब्धि 120 से ऊपर होती है।
> प्रतिभाशाली बालक वह है जो लगातार उच्च स्तर का कार्य निष्पादन किसी भी सामान्य प्रयास के क्षेत्र में प्रदर्शित करता है।
> गिलफोर्ड ने ‘अभिसारी चिन्तन’ शब्द का प्रयोग सृजनात्मकता के लिए किया है।
> सृजनशीलता के पोषण के लिए अध्यापक को ब्रेल स्टॉर्मिंग विधि की सहायता लेनी चाहिए। > सृजनात्मक शिक्षार्थी वह है जो पार्श्व चिंतन और समस्या समाधान में अच्छा है।
> सृजनशीलता वह अवधारणा है जिसमें उपलब्ध साधनों से नवीन विचारों को जन्म दिया जाता है। मौलिकता, धारा-प्रवाहिता तथा लचीलापन इसके प्रमुख तत्व हैं।
→ पढ़ने की अक्षमता संबंधी विकार को डिस्लैक्सिया कहते हैं। ऐसे बालक ‘चोटी’ को __ ‘रोटी’ एवं ‘दरवाजा’ को ‘वाजा’ पढ़ते हैं।
– गणित संबंधी अधिगम अक्षमता के विकार को डिस्कैल्कुलिया (Dyscalculia)कहते हैं।
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