B.Com Business Economics Books Study Material Chapter 1 PDF Download

B.Com Business Economics Books Study Material Chapter 1 PDF Download : Hello Friends B.com 1st Year 2nd Semester Business Economics Books & Notes in PDF की आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थियो का फिर से स्वागत करते है | दोस्तों आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी B.Com 2nd Semester Business Economics Chapter 1 Business Economics- An Introduction in Hindi Study Material with PDF Free Download करने जा रहे है जिसका लिंक आपको निचे दिया हुआ है |

B.Com Business Economics Books Study Material Chapter 1 PDF Download

अभ्यर्थियो को हमारी आज की पोस्ट Business Economics Books में Previous Year Questions Answers Model Sample Papers in Hindi English में भी दिए जा रहे है जिसकी सहायता से आप घर बैठे पढ़ाई कर सकते है | B.Com Business Economics Books Chapter के आखिर में आपको Questions Papers With Answers भी दिए जा रहे है जिन्हें आप Chapter Wise/Topic Wise अपने कंप्यूटर में Free Download कर सकते है |

अध्याय 1

व्यावसायिक अर्थशास्त्र – एक परिचय (Business Economics – An Introduction)

व्यावसायिक अर्थशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Business Economics)

व्यावसायिक फर्म की समस्याओं (भावी नियोजन एवं निर्णय) को हल करने में आर्थिक सिद्धान्तों का व्यावहारिक प्रयोग ही व्यावसायिक अर्थशास्त्र या प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र कहलाता है। अन्य शब्दों में, व्यावसायिक अर्थशास्त्र निर्णय लेने में प्रयोग होने वाला अर्थशास्त्र है। यह अर्थशास्त्र की विशिष्ट शाखा है जो निरपेक्ष सिद्धात एवं प्रबन्धकीय व्यवहार के बीच खाई को पाटने वाले पुल का कार्य करती है।

व्यावसायिक अर्थशास्त्र की परिभाषाओं को दो आधारों पर विभाजित कर अध्ययन किया जा सकता है।

I. संकुचित आधार पर :

1. जोयल डीन के शब्दों में, “व्यावसायिक अर्थशास्त्र वह विषय है जो आर्थिक विश्लेषण का प्रबन्धकीय निर्णयों में उपयोग करना बताता है।”

2. बेट्स एवं पार्किसन के अनुसार, “व्यावसायिक अर्थशास्त्र, सिद्धांत एवं व्यवहार दोनों में फर्मों के आचरण का अध्ययन

3. स्पेन्सर एवं सीजलमैन के अनुसार, “प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र, व्यावसायिक व्यवहार के साथ प्रबन्ध द्वारा निर्णय निर्माण तथा अग्रिम नियोजन के लिए आर्थिक सिद्धान्त का समन्वय है।”

II. विस्तृत आधार पर

1. पीटरसन एवं लुईस के अनुसार, “व्यावसायिक अर्थशास्त्र, व्यष्टि अर्थशास्त्र के उस भाग का अनुप्रयोग है जो उन विषयों पर केन्द्रित करता है जो व्यावसायिक उद्यमों के लिए बहुत ही रुचि एवं महत्व वाला है। इन विषयों में माँग, उत्पादन, लागत, कीमत बाजार संरचना तथा विनिमय शमिल है।”

2. डब्ल्यू.डब्ल्यू. हेन्स के शब्दों में, “प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र निर्णय लेने में प्रयोग होने वाला अर्थशास्त्र है। यह अर्थशास्त्र की एक विशिष्ट शाखा है जो निरपेक्ष सिद्धान्त एवं प्रबन्धकीय व्यवहार के बीच की घाटी के सेतु-बन्धन का कार्य करता है। यह समस्याओं के स्पष्टीकरण, सूचनाओं के संगठन एवं मूल्यांकन तथा वैकल्पिक व्यवहारों की तुलना में आर्थिक विश्लेषण के उपकरणों के प्रयोग को अधिक महत्व देता है।”

निष्कर्षत: व्यावसायिक अर्थशास्त्र अथवा प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र की ही एक विशिष्ट शाखा है जिसमें सामान्य आर्थिक सिद्धान्तों का प्रयोग व्यावसायिक प्रबन्ध के द्वारा व्यावहारिक एवं वास्तविक समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता है ताकि प्रबन्धक भावी नीतियों का निर्माण कर योजना बना सके।

व्यावसायिक अर्थशास्त्र की विशेषताएँ अथवा प्रकृति (Characteristics or Nature of Business Economics)

व्यावसायिक अर्थशास्त्र को संक्षिप्त एवं विस्तृत आधार पर दी गयी उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन एवं विश्लेषण करने पर इसमें निम्नलिखित विशेषताएँ अथवा प्रकृति देखी जा सकती है :

1. व्यष्टि अर्थशास्त्रीय प्रकृति (Micro Economics Nature)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र, व्यष्टि या सूक्ष्म अर्थशास्त्र की प्रकति का होता है. क्योंकि इसमें एक फर्म विशेष की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। अर्थात् इसके अन्तर्गत समष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन न करके व्यक्तिगत फर्मों की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।

2निर्धारात्मक अवधारणा (Applied Concept)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र, वर्णनात्मक अर्थशास्त्र न होकर निर्धारात्मक अवधारणा है। इसका कारण यह है कि यह आर्थिक सिद्धान्तों तथा व्यावहारिक पहलुओं के बीच एक पुल का कार्य करता है, आर्थिक सिद्धान्तों में विभिन्न प्रकार के नियमों का प्रतिपादन, विभिन्न चरों का निर्धारण किया जाता है, न कि उनका वर्णन और विभिन्न चरों के मध्य पाये जाने वाले सम्बन्धों के बारे में निर्णय लिया जाता है।

3. फर्म के सिद्धान्तों से सम्बन्धित (Related of Theory of the Firm)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र में उन सभी अवधारणाओं, आर्थिक सिद्धान्तों एवं प्रतिरूपों (Models) का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें हम फर्म के सिद्धान्त कहते हैं। इसके अतिरिक्त इसके अन्तर्गत ‘लाभ के सिद्धान्त’ का भी अध्ययन किया जाता है क्योंकि फर्म के महत्वपूर्ण उद्देश्यों में एक उद्देश्य संतोषप्रद लाभ कमाना होता है।

4.समष्टि अर्थशास्त्र को समुचित महत्व (Adequate Importance to Macro Economics)-हालाँकि व्यावसायिक अर्थशास्त्र की प्रकृति व्यष्टिमूलक है किन्तु इसमें व्यक्तिगत फर्मों के व्यावसायिक निर्णयों एवं भावी योजनाओं में समष्टिम् लक तत्वों का विशेष महत्व है, जैसे- व्यापार चक्र, राष्ट्रीय आय लेखांकन, सरकार की विदेश व्यापार नीति, मूल्य नीति, श्रम नीति, मौद्रिक नीति एवं राजकोषीय नीति आदि। इसलिए व्यावसायिक अर्थशास्त्री इन तत्वों की अपेक्षा नहीं कर सकता है। उसे इन समष्टिमूलक तत्वों का वैज्ञानिक विश्लेषण करके फर्म के निर्णयों को इनसे समायोजित करना होता है।

5. निर्देशात्मक प्रकृति (Directive Nature)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र की प्रकृति निर्देशात्मक होती है। इसलिए इसके अन्तर्गत आर्थिक सिद्धान्तों के सैद्धान्तिक पहलू का ही अध्ययन नहीं किया जाता है, अपितु इन सिद्धान्तों के व्यावहारिक प्रयोग के स्पष्ट निर्देशों की भी व्याख्या होती हैं कि क्या करें और क्या न करें?

6. प्रबन्धकीय स्तर पर निर्णयन (Decision – making of Managerial Level)-जोयलडीन के अनुसार, “प्रबन्धकीय अर्थशास्त्र का उद्देश्य यह दर्शाता है कि आर्थिक विश्लेषण का प्रयोग किस प्रकार व्यावसायिक नीतियों के निर्धारण में किया जा सकता है।” अत: निर्णय लेने का कार्य व्यावसायिक अर्थशास्त्र में प्रबन्धकीय स्तर पर किया जाता है।

7. कला एवं विज्ञान के रूप (As on Art and Science)-कला का अर्थ किसी भी कार्य को व्यवस्थित ढंग से सम्पादित करने से है। व्यावसायिक अर्थशास्त्र एक कला है। क्योंकि यह व्यावसायिक फर्मों को सीमित साधनों के सर्वोत्तम उपयोग के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करता है और अनेक आर्थिक पहलुओं (फर्म के उत्पादन, माँग, लाभ एवं जोखिम आदि) के सम्बन्ध में सर्वश्रेष्ठ विकल्प में सहायक है।

किसी समस्या का क्रमबद्ध विश्लेषण एवं अध्ययन ही विज्ञान है। व्यावसायिक अर्थशास्त्र एक विज्ञान ही नहीं अपितु आदर्श विज्ञान है क्योंकि इसमें व्यावसायिक समस्याओं से सम्बन्धित तथ्यों एवं अंकों को एकत्रित किया जाता है, क्रमबद्ध वर्गीकरण किया जाता है तथा विश्लेषण किया जा सकता है। नियोजन, पूर्वानुमान एवं निर्णय लिया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें क्या है, के स्थान पर क्या होना चाहिए पर अधिक जोर भी दिया जाता है।

8. समन्वयात्मक प्रकृति (Integrative Nature)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र आर्थिक सिद्धान्तों एवं उनके व्यावहारिक पहलुओं में समन्वय स्थापित करता है। इसके अतिरिक्त यह सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक पहलुओं पर निर्भर होने के कारण व्यवसाय की सफलता का मार्ग प्रशस्त भी करता है। इसलिए व्यावसायिक अर्थशास्त्र एक समन्वयात्मक प्रकृति का है।

१.बहुविषयक सम्बन्धित (Multi-disciplinary)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र का सम्बन्ध अनेक विषयों से होता है, जैसेसांख्यिकी, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, गणित, क्रियात्मक अनुसन्धान, प्रबन्ध, समभाविता, लेखांकन एवं अग्रिम नियोजन आदि। इस  सम्बन्ध में प्रो. डी. सी. हेग ने कहा कि, “व्यावसायिक अर्थशास्त्र गणित तथा साार न कहा कि, “व्यावसायिक अर्थशास्त्र गणित तथा सांख्यिकी के तर्क के प्रयोग से सम्बन्धित है ताकि वह व्यावसायिक निर्णय समस्याओं की सोच के लिए प्रभाव मार्ग प्रदान कर सके।

10. अधिक संशोधित एवं परिष्कृत विषय (More Amended and Re एव पारष्कृत विषय (More Amended and Refined Subject)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र की शाधत एवं परिष्कृत है क्योंकि (i) यह अधिक वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक मान्यताओं पर आधारित है, (ii) इसक सिद्धान्त व्यावसायिक अनिश्चितता में प्रबन्धकों को उचित निर्णय लेने में सहायता करते हैं, (iii) इसमें विश्लेषण के लिए एव वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता ली जाती है, और (iv) इसमें विभिन्न प्रतिरूपों (Models) का भी उपयोग किया जाता है।

व्यावसायिक अर्थशास्त्र का क्षेत्र (Scope of Business Economics)

व्यावसायिक अर्थशास्त्र के क्षेत्र के अन्तर्गत जिन विषयों को सम्मिलित किया जाता है और जिनके सम्बन्ध में अधिकतर विद्वान एकमत हैं, वे अग्रलिखित हैं

1 व्यष्टि अर्थशास्त्र से सम्बन्धित सिद्धान्त (Principles related to Micro Economics):

1. फम का सिद्धान्त (Theory of Firm)-इसके अन्तर्गत फर्म के उद्देश्य फर्म का सिद्धान्त फर्म की कार्यप्रणाली एवं फर्म का मॉडल आदि का अध्ययन किया जाता है।

2. मॉग विश्लेषण एवं पूर्वानुमान (Demand Analysis and Forecasting)-माँग विश्लेषण एवं व्यावसायिक नियोजन की कुशलता माग के सही पूर्वानुमान पर निर्भर करती है। इसलिए इसमें माँग का नियम, माँग वक्र, माँग की लोच, माँग के निर्धारित तत्व, माँग के प्रकार, एवं माँग के पूर्वानुमान की विवेचना की जाती है।

3. लागत एवं उत्पादन विश्लेषण (Cost and Production Analysis)-लागत विश्लेषण से अनुमानित लागत में परिवर्तन लाने वाले तत्वों का पता लगाया जाता है। इसलिए उत्पादन विश्लेषण, उत्पाद की भौतिक इकाइयों में किया जाता है। इसके अन्तर्गत लागत की अवधारणा, लागत वक्र, लागत और सीमान्त विश्लेषण, लागत वर्गीकरण और लागत सम्बन्ध, पैमाने की मितायताएँ और अमितायताएँ, उत्पादन फलन एवं रेखीय कार्यक्रम आदि की विवेचना की जाती है।

4. प्रतिस्पर्धा का अध्ययन (Study of Competition)-प्रतिस्पर्धा की विभिन्न दशाओं के अन्तर्गत व्यावसायिक फर्मों के निर्णय प्रभावित होते हैं। इसके अन्तर्गत प्रतिस्पर्धा से आशय और विभिन्न प्रतिस्पर्धात्मक दशाओं का अध्ययन किया जाता है।

5. मूल्य निर्धारण एवं नीतियाँ (Princing and Policies)-मूल्य निर्धारण व्यावसायिक अर्थशास्त्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है। एक व्यावसायिक फर्म की सफलता उसकी सही मूल्य निर्धारण नीति पर निर्भर करती है। इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रतिस्पर्धात्मक दशाओं में मूल्य निर्धारण व्यावसायिक फर्मों की मूल्य नीतियाँ, मूल्य निर्धारण की वैकल्पिक पद्धतियाँ, मूल्य-विभेद नीति, उत्पादन श्रेणी का मूल्य निर्धारण तथा मूल्यों के पूर्वानुमान का अध्ययन किया जाता है।

6. लाभ प्रबन्धन (Profit Management)-प्रत्येक व्यवसाय का दीर्घकालीन उद्देश्य लाभ कमाना होता है। लेकिन दीर्घकालीन भविष्य अनिश्चित होता है, इसलिए लाभों में भी अनिश्चितता पायी जाती है। अत: व्यावसायिक अर्थशास्त्र के अन्तर्गत लाभों को प्रभावित करने वाले सभी आन्तरिक एवं बाहा घटकों पर विचार किया जाता है ताकि भविष्यवाणी सही हो। इसलिए इसमें लाभ की प्रवृति और उसका माप, समुचित लाभ नीति का चयन, लाभ नियोजन एवं नियन्त्रण की प्रविधियों, जैसे- सन्तुलन स्तर. विश्लेषण तथा लागत नियन्त्रण आदि का अध्ययन किया जाता है।

7. पुँजी बजट (Capital Budgeting)-पूँजी बजट का आशय पूँजीगत व्ययों के नियोजन एवं उन पर समुचित नियन्त्रण से है। व्यावसायिक अर्थशास्त्र के अन्तर्गत पूँजीगत व्ययों के निवेश की वैकल्पिक परियोजनाओं का मूल्यांकन किया जाता है। इसलिए इसमें पूँजी की लागत, प्रत्याय दरों की गणना और परियोजनाओं आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।

8. उपभोक्ता व्यवहार का अध्ययन (Study of Consumer’ Behaviour)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र में उपभोक्ता के व्यवहार का भी अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत उपभोक्ता की आय, पसन्द, बचत, उपयोगिता विश्लेषण, तटस्थता विश्लेषण और माँग विश्लेषण इत्यादि को सम्मिलित किया जाता है।

9. विक्रय सवर्द्धन विधियाँ (Sales Promotion Methods)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विक्रय सवर्द्धन विधि भी आ जाती हैं। इसमें विज्ञापन, विक्रय प्रोत्साहन, वैयक्तिक विक्रय, विक्रय लागत, विक्रय प्रोत्साहन योजनाओं, विक्रय की मात्रा विज्ञापन एवं वितरण के माध्यम एवं विक्रय व्यूह रचना इत्यादि का अध्ययन सम्मिलित है।

10. स्कन्ध प्रबन्ध (Inventory Management)-स्कन्ध से आशय किसी फर्म द्वारा अपने स्टॉक में रखे कच्चे माल का यहाँ यह प्रश्न महत्वपूर्ण है कि कोई फर्म कितनी अप्रयुक्त या निष्क्रिय स्कन्ध अपने पास स्टॉक में रखे। यदि इसका स्टॉक अधिक पंजी अनत्पादक रूप से बँधी रहेगी। इसलिए यदि इस अप्रयुक्त स्कन्ध को कम किया जाए तब पूँजी का प्रयोग अन्य उत्पादन क्रियाओं में किया जा सकता है। इसके विपरीत यदि स्कन्ध की कम मात्रा स्टॉक में रखी जाती है तो उत्पादन को क्षति पहुँचेगी। आ. व्यावसायिक अर्थशास्त्र के अन्तर्गत स्कन्ध लागत को न्यूनतम करने के लिए ए.बी.सी. विश्लेषण विधि का प्रयोग, एक साल अनुकरण क्रिया और गणितीय मॉडल का प्रयोग किया जाता है।

II. समष्टि अर्थशास्त्र से सम्बन्धित सिद्धान्त (Principles rebted to Macro Economics) :

1. आर्थिक नीतियाँ ( Economic Policies)-आर्थिक नीति का अर्थ निश्चित उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की प्रप्ति के लिए अपनायी जाने वाली सरकारी नीति से है। व्यावसायिक फर्म का भी उद्देश्य एवं लक्ष्य होता है, जिसके लिए निर्णय लेना पड़ता है। इसलिए व्यावसायिक अर्थशास्त्र में मौद्रिक नीति, कर नीति, प्रशुल्क नीति, मूल्य नीति, रोजगार नीति, निर्यात-आयात नीति, औद्योगिक एवं लाइसेन्सिंग नीति इत्यादि को ध्यान में रखना पड़ता है। इसका मुख्य कारण यह है कि कुछ नीतियाँ व्यक्तिगत उद्यमियों को हतोत्साहित करती हैं तो कुछ प्रोत्साहित। महँगी मौद्रिक नीति फर्म की साख की लागत एवं उपलब्धता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी, जबकि सस्ती मौद्रिक नीति फर्म की साख लागत एवं उपलब्धता को बढ़ायेगी।

2. आर्थिक वातावरण (Economic Environment)-आर्थिक वातावरण का अभिप्राय व्यावसायिक फर्मों तथा उद्योगों के बाहर की उन सभी बातों के योग से है जो संगठन एवं संगठन संरचना को प्रभावित करती है। इसलिए व्यावसायिक अर्थशास्त्र में व्यापार चक्र, उपभोग एवं विनियोग सिद्धान्त, राष्ट्रीय आय, धन का वितरण, सामान्य माँग-स्तर, सामान्य-कीमत स्तर तथा रोजगार की स्थिति आदि का अध्ययन किया जाता है।

व्यावसायिक अर्थशास्त्र का महत्व (Importance of Business Economics)

अथवा

व्यावसायिक नीतियों के निर्माण में व्यावसायिक अर्थशास्त्र (Role of Business Economics in Formulation of Business Policies)

अथवा

व्यावसायिक निर्णयों में व्यावसायिक अर्थशास्त्र की भूमिका (Role of Business Economics in Business Decisions)

व्यावसायिक प्रबन्धक को सामान्यतया अनिश्चितता के वातावरण में जोखिमपूर्ण नीतियाँ बनानी पड़ती हैं एवं निर्णय लेने हो हैं। व्यावसायिक अर्थशास्त्र का अध्ययन प्रबन्धकों के इस कार्य में निम्नलिखित प्रकार से भूमिका का निर्वाह कर सहायता करना है।

1. अनिश्चितताओं तथा जोखिमों को कम करने में सहायक (Helpful in Minimising uncertainties an Risks)-आज के युग में टेढ़े-मेढ़े व्यवसाय एवं वैश्वीकरण के युग में व्यवसाय पूर्णत: अनिश्चियतता के वातावरण में संचालि होते हैं। परिणामस्वरूप व्यवसाय में जोखिमों का उदय हुआ है। लेकिन व्यावसायिक अर्थशास्त्र का अध्ययन व्यावसायि अनिश्चितताओं एवं जोखिमों को कम करने में सहायक होता है क्योंकि आर्थिक उपकरण की सहायता से प्रबन्धक तर्कसंगत नीति बनाने एवं निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।

2.नियोजन एवं निर्णयन में सहायक (Helpul in Planing and Decision making)-व्यावसायिक प्रबन्धक की अने नीतियाँ एवं उनके अनेक निर्णय, भावी नियोजन एवं पूर्वानुमान पर आधारित होते हैं। चाहे निर्णय उत्पादन बढ़ाने, लागत कम कर वस्तुओं का मूल्य कम अथवा अधिक रखने और पूँजी की प्राप्ति आन्तरिक अथवा बाहा स्त्रोतों से करने इत्यादि लेने हो, व्यावसायि

अर्थशास्त्र, व्यावसायिक प्रबन्धक को भावी नियोजन एवं निर्णयन में सहायता प्रदान करता है। इसलिए वे लाभ, लागत मूल्य, पूजा श्रम समस्या आदि के समाधान हेतु उपलब्ध विकल्पों का उपयोग कर लेते हैं और सर्वश्रेष्ठ विकल्प का चुनाव कर लेत ह। इन सबक परिणामस्वरूप निर्धारित उद्देश्य प्राप्त कर सकते हैं।

3. पूर्वानुमान में सहायक ( Helpful in fore casting)-नि  सहायक ( Helpful in fore casting)-नियोजन का आधार पूर्वानुमान है। अत: व्यावसायिक प्रबन्ध में पूर्वानुमान एक महत्वपूर्ण अंग है। इसका कारण यह है कि व्यवसायी को किसी भी प्रकार का निर्णय लेने के पूर्व उसस सम्बान्धत अनुमान लगाना आवश्यक है। यदि अनमान सही. व्यावहारिक एवं उचित हो तो निर्णय भी उचित होंगे। व्यावसायिक अथशास्त्र प्रबन्धकों को माँग विश्लेषण, पूर्ति नियम एवं अन्य मान्यताओं के आधार पर पूर्वानुमान लगाने में सहायता करता है।

4. व्यावसायिक नीतियों के निर्माण में सहायक (Helpful in Formulating Business Policies)-प्रत्यक का मुख्य उद्दश्य अधिकतम लाभ अर्जित करना होता है, चाहे प्रथम सेवा करके, चाहे प्रथम लाभ को सामने रखते हुए काम का जाए। लाकन एसा करने के लिए व्यावसायिक प्रबन्ध के नियोजन, नियन्त्रण संचालन. सम्प्रेषण नेतत्व, मजदरा,

बाराराताआ का उचित प्रतिफल इत्यादि की विभिन्न वैकल्पिक नीतियों को तैयार किया जाता है। इस सब में व्यावसायिक अर्थशास्त्र की भूमिका का विशेष महत्व होता है।

5. सन्गठन में सहायता (Helpful in Organization)-व्यावसायिक प्रबन्धक को सम्पूर्ण संगठन को कुशलतापूर्वक संचालित करने और विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिए संगठन के कार्यों का विभिन्न क्रियाओं, उप-क्रियाओं, विभागों एवं उपविभागों में विभाजित करना पड़ता है। __इसक लिए प्रत्येक व्यक्ति चाहे अधिकारी हो. चाहे श्रमिक हो. अधिकार एवं उत्तरदायित्व भी निर्धारित करने होते हैं व्यावसायिक अर्थशास्त्र इन सभी में प्रबन्ध की सहायता करता है।

6. उचित समन्वय स्थापित करने में सहायता (Helpful in Determining Coordination)-व्यावसायिक अथशास्त्र नियोजन-पूर्वानुमान एवं निर्णयन, संगठन, सम्प्रेषण, नियन्त्रण एवं व्यावसायिक नीतियों के निर्माण तथा क्रियान्वयन में काफी सहायता करता है। फलस्वरूप न्यूनतम लागत पर निरन्तर गति से संस्था का संचालन होता है।

7. सम्प्रेषण में सहायक ( Helpul in Communication)-व्यावसायिक संस्था की सफलता हेतु उचित सम्प्रेषण आवश्यक है। ध्यान रहे सम्प्रेषण में सूचना, संदेश भेजना, प्राप्त करना और रिपोर्ट लेना आदि सम्मिलित हैं, लेकिन इन सबकी पारस्परिक समक्ष (Mutual understand) एक होना आवश्यक है। प्रबन्धक द्वारा संस्था के नियोजन, कार्य-परिणाम, आदेश-निर्देश इत्यादि का उचित सम्प्रेषण कर कर्मचारियों की कार्यकुशलता बढ़ायी जा सकती है। व्यावसायिक अर्थशास्त्र इन सभी वर्णित कुशल सम्प्रेषण व्यवस्था के निर्माण एवं स्थापना में सहायता करता है।

8. नियन्त्रण में सहायक (Helpful in Control)-नियन्त्रण में पूर्व-निर्धारित उद्देश्यों एवं वास्तविक निष्पादन की जानकारी कर विचलनों का पता लगाना सम्मिलित है ताकि भावी योजनाओं का ध्यान रखा जा सके। व्यावसायिक अर्थशास्त्र का ज्ञान प्रबन्धकों के इस प्रकार के कार्यों में सहायता करता है, जैसे- लागत नियन्त्रण, किस्म नियन्त्रण एवं कीमत नियन्त्रण आदि। फलस्वरूप फर्म के उद्देश्य आसानी से प्राप्त हो जाते हैं।

9. व्यावहारिक मॉडल बनाने में सहायक (Helpul in Determining Practical Model)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र आर्थिक विश्लेषण पर आधारित अवास्तविक मॉडल्स को अधिक वास्तविक एवं व्यावसायिक व्यवहारों को अनुकूल बनाने का कार्य करता है, जैसे – प्रत्येक फर्म का उद्देश्य लाभ को अधिकतम करना होता है। इस मान्यता के आधार पर यह बताया जाता है कि उसका उत्पादन एवं मूल्य क्या रखा जाये? इस प्रकार व्यावहारिक मॉडल तैयार हो जाता है।

10. बाह्य शक्तियों को समझने में सहायक (Helpul in Understanding External Forces)-व्यावसायिक अर्थशास्त्र बाह्य स्थितियों अथवा शक्तियों एवं व्यावसायिक परिस्थितियों में समन्वय स्थापित करने की जानकारी प्रदान करता है। बाह्य परिस्थितियों में मुख्यतः राष्ट्रीय आय, व्यापार-चक्र, विदेशी व्यापार, करारोपण, श्रम कानून, बीमा, बैंकिंग, परिवहन एवं संचार उन राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय नीतियों को सम्मिलित किया जाता है जो व्यवसायों को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं। व्यावसायिक अथशास्त्री फर्म की विभिन्न नीतियों एवं बाझ परिस्थितियों में समन्वय सम्बन्धी अनेक महत्वपूर्ण निर्णय करता है। अतः फर्म की गतिविधियाँ व्यवस्थित रूप से संचालित होने लगती हैं।

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I. व्यावसायिक प्रबन्ध के प्रति (Towards Business Management)-व्यावसायिक फर्म के सफलतापूर्वक संचालन के लिए व्यावसायिक अर्थशास्त्री का यह कर्तव्य है कि वह प्रबन्ध तन्त्र की नीति सम्बन्धी निर्णयों में सहायता प्रदान करे। इसलिए उसके अग्रलिखित कर्तव्यों को सूचीबद्ध किया जा सकता है

1. निर्धारित उद्देश्यों में प्राथमिकताएँ आवंटित करना (Alloted Priorities in Determing Objectives)-प्रत्यक व्यावसायिक संस्था के कुछ मुख्य उद्देश्य होते हैं किन्त साधनों की सीमितता के कारण सभी उद्देश्यों को एक ही समय पर पूरा करना सम्भव नहीं होता है। ऐसी दशा में व्यावसायिक अर्थशास्त्री का यह कर्त्तव्य होता है कि वह निर्धारित उद्देश्यों में प्राथकमिकताएँ आवंटित करे ताकि व्यवसाय के सभी उद्देश्यों को निर्धारित क्रय में प्राप्त किया जा सके।

2. व्यहरचना सम्बन्धी निर्णयों में सहायता करना (To Help Strategic Decisions)-प्रत्येक व्यावसायिक संस्था आन्तरिक एवं बाहा व्यूहरचना पर विचार करके निर्णय लेती है। ऐसी दशा में व्यावसायिक अर्थशास्त्री उनको नीति सम्बन्धी, प्रशासन एवं प्रबन्ध और संचालन सम्बन्धी अनेक निर्णयों में सहायता प्रदान करता है।

3. समस्याओं का समाधान खोजना (Finding of Solution for problems)-व्यावसायिक संस्थाओं में अनेक समस्याएं आती हैं, जैसे- लाभ की मात्रा. उत्पादन की मात्रा. बिक्री की मात्रा किस्म. उत्पादन क्षमता. लागत. विनियोग एवं फर्म का सकुचन तथा विस्तार आदि। एक व्यावसायिक अर्थशास्त्री का यह कर्तव्य है कि वह इन समस्याओं को समझे और उनके समाधान का मार्ग प्रबन्ध तन्त्र के सामने रखे।

4. भावी एवं सम्भावित अनिश्चितताओं से सुरक्षित करना (To Safeguard from Forward and Possible Uncertain Tiles)-व्यावसायिक अर्थशास्त्री का कार्य व्यवसाय को भावी एवं सम्भावित अनिश्चितताओं से सुरक्षित करना होता है। प्राकृतिक अनिश्चितता, मानवीय अनिश्चितता एवं आर्थिक अनिश्चितता इन तीनों से व्यवसाय को न्यूनतम हानि हो यह सुनिश्चित करना एक व्यावसायिक अर्थशास्त्री का कर्तव्य है।

5. भावी योजनाओं के निर्माण में सहायता करना (To Help in Forward Planning)-एक व्यावसायिक प्रबन्धक संस्था के सम्बन्ध में अनेक भावी योजनाएँ बनाता है, जैसे- संस्था का विकास, विस्तार, उत्पादन का सरलीकरण एवं विधिकरण, उत्पाद की किस्म तथा आधुनिकीरण आदि। इसलिए व्यावसायिक अर्थशास्त्री का यह कर्तव्य है कि भविष्य के नियोजन में प्रबन्ध की सहायता करे।

6. न्यूनतम प्रयास एवं लागत से सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने में सहयोग करना ( To Help in best Resulting form Minimum Efforts and Cost)-व्यवसाय की समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते समय एवं विकल्प कार्य चयन करते समय व्यावसायिक अर्थशास्त्री का यह कर्तव्य है कि वह मितव्ययता का सदैव ध्यान रखे। अन्य शब्दों में, ऐसा विकल्प चयनित करना व्यावसायिक अर्थशास्त्री का कर्तव्य है जिससे न्यूनतम प्रयास एवं लागत से सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त किये जा सकें।

II) राष्ट्र एवं समाज के प्रति ( Towards Nation and Society)-एक व्यावसायिक अर्थशास्त्री के व्यावसायिक प्रबन्ध के प्रति कर्तव्यों के साथ-साथ समाज एवं राष्ट्र के प्रति भी कुछ कर्तव्य होते हैं। इसका कारण यह है कि जहाँ एक और व्यावसायिक फर्म के हितों का ध्यान रखना पड़ता है, वही उपभोक्ता एवं कर्मचारी वर्ग का भी ध्यान रखना आवश्यक है। इसलिए एक व्यावसायिक अर्थशास्त्री के राष्ट्र एवं समाज के प्रति निम्नलिखित कर्तव्य बताये जा सकते हैं

1. व्यवसाय के आर्थिक संसाधनों अधिकतम विदोहन करने वाली नीतियाँ बनाना ताकि साधनों के अप्रत्ययों को रोका अथवा नियन्त्रित किया जा सके।

2. उत्पादित माल की निरन्तर पूर्ति सुनिश्चित करके उपभोगताओं को लाभ पहुंचाना।

3. प्रेरणात्मक मजदूरी पद्धतियों को लागू करना।

4. रोजगार को बढ़ाने वाली योजनाओं को प्रोत्साहित करना एवं देश की बेरोजगारी को दूर कर सरकार की सहायता करना।

5. कर्मचारियों एवं उनके परिवार के सदस्यों के लिए कल्याण एवं लाभ सम्बन्धी योजनाएँ बनाना तथा उनके क्रियान्वयन में सहायता करना।

6. कर चोरी को रोकने में सहयोग करना।

7. देश में कालाबजारी रोकने के लिए आवश्यक नीति निर्धारण में परामर्श देना।

8. आर्थिक विकास में सरकार की सहायता करना एवं राष्ट्रीय नीति के अनुसार व्यावसायिक क्रियाओं को विकसित करना।

9. देश के हित में अपनी विभिन्न योजनाएँ बनाना।

10. देश के नियमों, कानूनों एवं अधिनियमों में दी गयी व्यवस्थाओं का पालन करना।

व्यावसायिक अर्थशास्त्री के उत्तरदायित्व (Responsiblities of Business Economist)

कार्यों एवं कर्तव्यों का निष्पादन ही उत्तरदायित्व कहलाता है। अन्य शब्दों में, उत्तरदायित्व का व्यावहारिक पक्ष होता है। अतः एक व्यावसायिक अर्थशास्त्री कुशलतापूर्वक कार्य करके प्रबन्धकों को निर्णय लेने तथा भावी नियोजन करने में तभी अधिक सहायक सिद्ध हो सकता है. जब वह अपने दायित्वों को भली-भाँति समझे। अत: एक व्यावसायिक अर्थशास्त्र के निम्नलिखित उत्तरदायिल बताये जा सकते हैं:

1. संसाधनों को एकत्रित करना (Acquiring Resources)-एक व्यावसायिक अर्थशास्त्री का प्रथम दायित्व यह है कि व्यवसाय के पूर्व निर्धारित उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक संसाधनों को एकत्रित करे ताकि निर्धारित समयावधि में व्यवसाय अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सक।

2. पूर्वानुमान लगाना ( Forecasting Uncertainties)-एक व्यावसायिक अर्थशास्त्री का पूर्वानुमान लगाने से सम्बन्धित निम्नलिखित उत्तरदायित्व होते हैं:

(i) प्रबन्धकों के भविष्य के सम्बन्ध में निर्णय एवं भावी नियोजन के लिए सफल पूर्वानुमान प्रस्तुत करे।

(ii) पूर्वानुमान से सम्बन्धित दायित्वों को समझे एवं हर सम्भव अच्छे से अच्छे तथा अधिक से अधिक शुद्ध आने वाले, पूर्वानुमान प्रबन्धकों को प्रदान करे।

(iii) पूर्वानुमान को उन्नत करके अनिश्चितताओं के जोखिम को समाप्त अथवा न्यूनतम करे।

(iv) पूर्वानुमान को सर्वोत्तम उपलब्ध आर्थिक सूचनाओं एवं विश्लेषणों के आधार पर लगाये।

(v) पूर्वानुमान में त्रुटि की जानकारी होते ही तुरन्त प्रबन्धकों को सावधान करे।

(vi) पूर्वानुमानों को प्रभावित करने वाली परिस्थितियों में परिवर्तन होने पर प्रबन्धकों को अपनी नीतियों तथा कार्यक्रमों में आवश्यक संशोधन करने में सहायता पहुँचाये।

3. निर्णयों को क्रियान्वित एवं नियन्त्रित करना (Implementing and Controlling Decisions)-व्यावसायिक अर्थशास्त्री का यह उत्तरदायित्व है कि वह किसी समस्या के लिए हल किये गये निर्णयों को क्रियान्वित एवं नियन्त्रित करे। फलस्वरूप संस्था या फर्म का उद्देश्य प्राप्त किया जा सके।

4. आर्थिक सूचना के स्त्रोतों का ज्ञान रखना (Knowledge of the Source of Economic Information)-एक कुशल एवं सफल व्यावसायिक अर्थशास्त्री का यह उत्तरदायित्व है कि वह फर्म के क्रियाकलापों को प्रभावित करने वाली आर्थिक सुचनाओं की प्राप्ति स्त्रोतों का ज्ञान रखे। परिणामस्वरूप समय-समय पर परिवर्तित आर्थिक सूचनाएँ उसे सहजता से प्राप्त होती रहें।

5. विनियोजित पूँजी पर लाभ बनाये रखना (Maintaining a Reasonable Rate on Capital Employed)प्रत्येक धन लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से संस्था की स्थापना एवं उसका संचालन करता है ऐसे में व्यावसायिक अर्थशास्त्री का यह उत्तरदायित्व हो जाता है, कि वह व्यवसाय में निरन्तर लाभ की अभिवृद्धि के लिए प्रबन्धकों को आवश्यक सुझाव देकर काम करने के लिए प्रेरित करें।

6. उचित समन्वय स्थापित करना (Establishing Effective Coordination)-व्यावसायिक अर्थशास्त्री का यह भी उत्तरदायित्व है कि वह उचित समन्वय स्थापित कर विभिन्न नीतियों तथा निर्णयों को क्रियान्वित एवं नियन्त्रित करे।

7. प्रतिष्ठा बनाना (Getting prestige)-यदि व्यावसायिक अर्थशास्त्री फर्म सम्बन्धी निर्णयों, पूर्वानुमानों एवं भावी नियोजन के द्वारा फर्म के लाभों में वृद्धि कर देता है और फर्म की विभिन्न समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है तो फर्म में उसकी प्रतिष्ठा हो जाती है अत: व्यावसायिक अर्थशास्त्री को अत्यधिक सतर्कता एवं निष्ठापूर्वक कार्य करना पड़ता है।

परीक्षोपयोगी प्रश्न

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very short Answer Type Questions)

1. व्यावसायिक अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं? What do you understand by business economics?

2. व्यावसायिक अर्थशास्त्र को परिभाषित कीजिए। Define business economics.

3. व्यावसायिक अर्थशास्त्र की उपयुक्त परिभाषा दीजिए। Give the definition of business economics.

4. व्यावसयिक अर्थशास्त्र की किन्हीं चार विशेषताओं के बिन्दु लिखिए। Write any four points of the characteristics of business economics.

5. व्यावसायिक अर्थशास्त्र के क्षेत्र के कुछ पहलू बताइए। Discuss some aspects of the scope of business economics.

6. आर्थिक वातावरण से आपका क्या आशय है? What do you mean by economic environment? 7. व्यावसायिक अर्थशास्त्र के महत्व के कोई चार शीर्षक लिखिए। Write any four headings of the significance of business economics.

8. अर्थशास्त्र एवं व्यावसायिक अर्थशास्त्र में कोई दो अन्तर समझाइए। Explain any two difference in economics and business economics.

9. व्यावसायिक अर्थशास्त्री कौन होता है? Who is business economist?

10. एक व्यावसायिक अर्थशास्त्री के विशिष्ट कार्य बताइए। Discuss the specific functions of a business economist.

11. व्यावसायिक अर्थशास्त्री के दो कर्तव्य लिखिए। Write two duties of a business economist

12. व्यावसायिक अर्थशास्त्री के कुछ मुख्य उत्तरदायित्व बताइए। Discuss the some main responsibilities of a business economist.

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

1. व्यावसायिक अर्थशास्त्र की कोई चार प्रकृति को समझाइए। Explain any four nature of business economics.

2. “व्यावसायिक अर्थशास्त्र एक निर्धारणत्मक अवधारणा है” स्पष्ट कीजिए। “Business economics is a applied concept.”‘ Explain.

3. व्यावसायिक अर्थशास्त्र को कला एवं विज्ञान के रूप में समझाइए। Explain business economics as an art and science.

4. व्यावसायिक अर्थशास्त्र के क्षेत्र में व्यष्टि अर्थशास्त्र से सम्बन्धित सिद्धान्तों के नाम लिखिए। Write the name of the priciples regarding to micro economics in the role of business economics.

5. आर्थिक नीतियों से आप क्या समझते हैं? What do you understadn by economic policies?

6. व्यावसायिक एवं सामान्य अर्थशास्त्र में क्या सम्बन्ध है? What is relationship in business and general economics.

7. व्यावसायिक अर्थशास्त्र, व्यावसायिक निर्णयों में किस प्रकार सहायक होता है? How to business economics helpful in business decisions.

8. व्यावसायिक नीतियों के निर्धारण में व्यावसायिक अर्थशास्त्र का महत्व बताइए। Describe the importance of business economics in determination of business policies.

9. व्यावसायिक अर्थशास्त्री के मुख्य कर्तव्यों को समझाइए। Explain main duties of business economist.

10. एक व्यावसायिक अर्थशास्त्री के राष्ट्र एवं समाज के प्रति क्या-क्या कर्तव्य होते हैं? What are the duties “Business economist towards nation and Society”??

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

1. व्यावसायिक अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिये। व्यावसायिक अर्थशास्त्र की विशेषताओं एवं प्रकृति का वर्णन कीजिये। Give the definition of business economics. Describe the characteristics and nature of business economics.

2. “व्यावसायिक अर्थशास्त्र सिद्धान्त एवं व्यवहार में फर्मों के आचरण का अध्ययन है।” विस्तार से समझाइये। “Business economics is a study of the behaviour of firms in theory and practice.” explain in detail.

3. “निर्णय की सुविधा के उद्देश्य से आर्थिक सिद्धान्तों और व्यावसायिक व्यवहारों का समन्वय ही व्यावसायिक अर्थशास्त्र है।” विवेचना कीजिये। “Business economics is the integration of economic theory with business practice for the purpose of facilitating decision making” Discuss..

4. व्यावसायिक अर्थशास्त्र के महत्व का वर्णन कीजिये। व्यावसायिक अर्थशास्त्र का अन्य विषयों से क्या सम्बन्ध है? व्यावसायिक अर्थशास्त्र, सामान्य अर्थशास्त्र से किस प्रकार भिन्न है? Describe the importance of business economics. What are the relationship of business economics

with other subjects? what are the difference between business economics and general economics.

5. व्यावसायिक अर्थशास्त्र को परिभाषित कीजिये। व्यावसायिक निर्णयों में  व्यावसायिक अर्थशास्त्र की भूमिका की विवेचना कीजिये। Define business economics examine the role of business economics in business decisions.

6. व्यावसायिक अर्थशास्त्री की भूमिका एवं दायित्वों का वर्णन कीजिये। Describe the role and responsibilities of a business economist.

7. व्यावसायिक अर्थशास्त्र की व्यावसायिक निर्णय, धन, कल्याण, दुर्लभता एवं विकास के क्षेत्र में भूमिका बताइये। Discuss the role of business economics in business decision, wealth, welfare scarcity and growth.

8. व्यावसायिक अर्थशास्त्र ज्ञान की अन्य शाखाओं से किस प्रकार सम्बन्धित है? How business economics is related to other branches of knowledge?

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B.Com 1st Year Financial Accounting Chapter 12 PDF Download : नमस्कार दोस्तों SscLatestNews.Com Website में आप सभी का फिर से स्वागत है | आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी B.Com 1st Year Financial Accounting Books & Notes Chapter 12 Insurance Claims in Hindi Free PDF में Download करने जारहे है जिसे आप आने वाले B.Com 1st Year Financial Accounting Question Paper के लिए तैयार कर सकते है |

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अभ्यर्थियो को बता दे की B.Com 1st Year में Financial Accounting Book को बहुत ही महत्त्व दिया जाता है और इसकी वजह यह है की Financial Accounting Books आपके Main Subject होती है, यदि आप भी B.Com Course कर रहे है तो आज की पोस्ट में हम आपको Financial Accounting Study Material in Hindi Free PDF में शेयर कर रहे है जिसे आप सबसे निचे दिए गये टेबल के माध्यम से अपने मोबाइल या कंप्यूटर में हमेशा के लिए स्मभालकर रख सकते है | हम अभ्यर्थियो को B.Com 1st Year, 2nd Year & 3rd Year for All Semester की Books Chapter Wise in Hindi & English दोनों ही भाषा में रोजाना शेयर करने वाले है यदि आपको भी B.Com की सभी Books in PDF Free Download करने के लिए चाहिए तो आप हमारी वेबसाइट से जुड़े रहे |

B.com Full form Bachelor of Commerce को कहा जाता है जिसे करने के लिए आपको सबसे पहले 12th Class Commerce Background से करनी होती है तभी आप B.Com 1st Year Course में Admission ले पाते है | B.com Course 3 Year का होता है जिसमे आपको 6 Semester दिए जाते है यानी की आप हर वर्ष 2 Semester के Exam paper देते है | B.com Course को आप सरकरी व गैरसरकारी विश्वविद्यालय से कर सकते है जिसकी फीस की बात करें तो सरकारी विश्वविद्यालय में आपको B.Com 1st Year Fees करीब 3000 रूपये देनी होती है और यदि हम गैरसरकारी विश्वविद्यालय की बात करें तो इसके लिए आपको 20000 रूपये से भी ज्यादा देनी होती है | अभ्यर्थी निचे दिए गये टेबल के माध्यम से B.Com 1st Books Chapter 11 in Hindi PDF Free Download कर सकते है |

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B.Com 1st Year Financial Accounting Chapter 11 PDF Download : Financial Accounting for B.Com 1st Year PDF Free Download आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थियो का फिर से स्वागत करते है, दोस्तों आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी B.Com Financial Accounting Book Chapter 11 The Insolvency and Bankruptcy Code-2006 को PDF में Free Download करने जा रहे जिसे B.Com Financial Year Questions Papers में पूछा जाता है |

B.Com 1st year Previous Year Question Paper for Financial Accounting को हम इस पोस्ट से पहले ही शेयर कर चुके है जिसका लिंक हम आपको आज की पोस्ट में शेयर भी कर रहे है | हम अपनी इस पोस्ट में Financial Accounting Books को Chapter Wise in Hindi Free PDF Download करने के लिए भी लिंक शेयर कर रहे है जिसे आप निचे दिए गये लिंक के माध्यम से प्राप्त कर सकते है | B.Com 1st Year Financial Accounting Books & Notes बनाये जाने के लिए हमें काफी समय से अभ्यर्थियो द्वारा Request की जा रही थी जिसके बाद आज की पोस्ट में हम आपको शेयर भी करने जा रहे है |

दोस्तों B.Com Full Form (Bachelor of Commerce) को कहा जाता है जिसे आप 12th Class के बाद किसी भी सरकारी या गैरसरकारी विश्वविद्यालय से कर सकते है | हम अपनी इस पोस्ट में अभ्यर्थियो को B.Com Study Material for All Semester 1st, 2nd & 3rd Year in Hindi English दोनों ही भाषा में लिंक शेयर कर रहे है जिसे आप निचे दिए गये टेबल के माध्यम से प्राप्त कर सकते है | अभ्यर्थी निचे दिए गये लिंक के माध्यम से B.Com 1st year (Semester 1st & Semester 2nd) Financial Accounting Book Chapter 11 The Insolvency and Bankruptcy Code-2006 को Free PDF में Download कर सकते है |

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B.Com 1st Year Financial Accounting Chapter 10 PDF Download : नमस्कार दोस्तों SscLatestNews.Com Website एक बार फिर से आप सभी अभ्यर्थियो का स्वागत करती है | दोस्तों आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी B.Com 1st Year Financial Accounting Books & Notes से लिए गये Chapter 10 Insolvency Accounts Topic को Free PDF में Download करने जा रहे है जिसके लिए आपको किसी भी तरह का कोई भी शुल्क हमें नही देना होगा |

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हम अभ्यर्थियो को बता दे की हर रोज आपके लिए B.Com Financial Accounting Book & Study Material को Chapter Wise शेयर कर है जिन्हें आप हमारी Main Post B.Com 1st Year Financial Accounting Book in PDF से एक साथ Free Download कर सकते है | B.Com 1st Year Course यदि आप कर रहे है तो हम आपके लिए जल्द ही B.Com 1st Year Financial Accounting Previous Year Questions Model Sample Papers in Hindi (English) PDF में लेकर आने वाले है जिसके लिए आपको हमारी वेबसाइट SscLatestnews.Com से जुड़े रहना होगा |

हम अभ्यर्थियो को अपनी वेबसाइट के माध्यम से सभी तरह की Educational Books PDF में Free Provide कराते है और आने वाले समय में आप सभी अभ्यर्थियो को हमारी वेबसाइट के माध्यम से B.Com 1st year, 2nd Year & 3rd Year Books & Notes for All Semester Free PDF में Download करने के लिए मिलने वाले है जिसका Notification जल्द ही आप सभी अभ्यर्थियो तक पहुंच जायेगा | अभ्यर्थी हमारे द्वारा बनाई गयी टेबल के माध्यम से B.Com 1st Year Financial Accounting Chapter 10 Insolvency Accounts को PDF में Free Download कर सकते है |

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B.Com 1st Year Financial Accounting Chapter 9 PDF Download : Hello Friends Financial Accounting Book in Hindi PDF की आज की पोस्ट में एक बार फिर से आप सभी का स्वागत करते है, दोस्तों आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी B.Com 1st Year Financial Accounting Books & Notes Chapter 9 Installment Payment System Post in Hindi PDF में Free Download करने जा रहे है जिसे आप सबस निचे दिए गये टेबल के माध्यम से प्राप्त कर सकते है |

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Financial Accounting Book for B.Com 1st year PDF in Hindi Post के लिए अभ्यर्थियो द्वारा हमें काफी समय से मांग की जा रही थी जिसके बाद हम अभ्यर्थियो के लिए Financial Accounting Education Books in Hindi PDF Download करने लिए हर रोज Chapter Wise Share कर रहे है जिसे जिन्हें आप हमारी आज की पोस्ट में दिए गये लिंक के माध्यम से Free Download कर सकते है | B.Com 1st year Financial Accounting Book Study Material भी आप Online पढ़ सकते है जिसके लिए आपको Financial Accounting Books PDF Download करने की आवश्यकता भी नही होगी |

हम अभ्यर्थियो के लिए जल्द ही B.Com 1st year Financial Accounting Previous Year Mode Questions Answers Sample papers in Hindi & English दोनों ही भाषा में लेकर आने वाले है जिन्हें आप Topic Wise अपने मोबाइल या कंप्यूटर में हमेशा के लिए स्मभालकर रख सकते है | अभ्यर्थी निचे दिए गए लिंक के माध्यम से B.Com 1st Year Financial Accounting Books Chapter 8 Instalment Payment System in PDF में Free Download कर सकते है |

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B.Com 1st Year Financial Accounting Chapter 8 PDF Download : Hi All Students आज की पोस्ट में हम आपके लिए B.Com (Bachelor of Commerce) 1st Year (Semester I, Semester II) Financial Accounting Book Chapter 8 Hire Purchase System) Post in Hindi PDF में Free Download करने के लिए लेकर आयें है जिसका लिंक आपको निचे टेबल में दिया हुआ है |

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B.Com 1st Year course में सबसे महत्वपूर्ण Financial Accounting को माना जाता है और जिसकी वजह यह होती है की आप Financial Accounting की जानकारी प्राप्त करने के बाद अपना भविष्य Accounts Line में बना सकते है | अभ्यर्थियो को बता दे की हम हर रोज आपको B.Com Financial Accounting Books Chapter Wise PDF में Post Share कर रहे है जिसे आप Free PDF में Download कर सकते है | B.Com Financial Accounting Study Material पढ़ने के लिए भी आप हमारी वेबसाइट को रोजाना Visit कर सकते है | अभ्यर्थियो हमारी वेबसाइट के माध्यम से B.Com 1st Year Notes के साथ B.Com Financial Accounting Previous Year Questions Answer Model Papers in Hindi & English दोनों ही भाषा में Free PDF Download कर सकते है |

हम अभ्यर्थियो के लिए जल्द ही B.com 1st की All Books Semester Wise PDF में Share करने जा रहे है जिसके लिए अभ्यर्थियो को हमारी वेबसाइट SscLatestNews.Com से जुड़े रहना होगा | यदि आप भी B.Com Course की तैयारी कर रहे है तो सबसे पहले आपको B.Com Syllabus की अच्छे से जानकारी होनी चाहिए जो आपको हमारी वेबसाइट के उपर दिए गये मेनू में मिल जाएगी | अभ्यर्थी निचे दिए गये टेबल से B.Com Financial Accounting Books Chapter 8 in PDF Free Download कर सकते है |

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B.Com 1st Year Financial Accounting Chapter 7 PDF Download : Hello Friends SscLatestNews.Com Website आप सभी का एक बार फिर से स्वागत करती है, दोस्तों आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी B.Com 1st Year Financial Accounting Books & Notes Chapter 7 Departmental Accounts Post in Hindi PDF Free Download करने जा रहे है जिसे आप सबसे निचे दिए गये टेबल के माध्यम से प्राप्त कर सकते है | अभ्यर्थियो को बता दे की B.Com Financial Accounting Book Study Material Chapter Wise Post हम रोज शेयर कर रहे है जिसे आप निचे दिए गये लिंक के माध्यम से प्राप्त कर सकते है |

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हमारी आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी Meaning of Departmental Accounts and Need or Object Departmental Accounts को Hindi में जानेंगे | यदि आप B.Com 1st Year Course कर रहे है और B.Com Books in Hindi में Free PDF Download करना चाहते है तो हमारी वेबसाइट आप सभी अभ्यर्थियो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने जा रही है क्योकि आप हमारी वेबसाइट के माध्यम से B.Com 1st Year, 2nd Year, 3rd Year for All Semester Book in Hindi (English) PDF में Free Download कर सकते है |

B.Com 1st Year Financial Accounting Exam Question Paper पास करने के लिए सबसे जरूरी होता है की आप B.Com Previous Year Questions Answers Model Sample Papers in Hini या English भाषा में पढ़कर तैयारी करें इससे आपको पता चल जाता है की B.Com 1st Year Exam Paper किस तरह का होता है और आपको कितनी तैयारी करनी होगी | अभ्यर्थी निचे दिए गये लिंक के माध्यम से B.Com 1st Year Financial Accounting Books Chapter 7 in Hindi PDF में Free Download कर सकते है |

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B.Com 1st Year Financial Accounting Books & Notes in Hindi PDF Download : Hello Friends में दीपक कुमार एक बार फिर से आप सभी अभ्यर्थियो का स्वागत करता हूँ, आज की इस पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी B.Com 1st Year Financial Accounting Book & Study Material in Hindi (English) Chapter Wise PDF Free Download करने जा रहे है जिसे हमने Post Wise/Topic Wise निचे दिया हुआ है | B.Com Financial Accounting PDF Books & Notes in PDF के लिए हम काफी अभ्यर्थियो ने कमेंट किये थे जिसके बाद आज की पोस्ट में हम अभ्यर्थियो के लिए B.Com Financial Accounting Books in PDF में लेकर आयें है |

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अभ्कोयर्थियो बता दे की Financial Accounting Books को B.Com 1st Year (1st Semester, 2nd Semester) में Questions Answers Papers के में पूछा जाता है जिसकी तैयारी के लिए हम आपको आज की पोस्ट Free PDF Share कर रहे है | B.Com 1st Year, 2bd Year & 3rd Year Syllabus in PDF Download करने के लिए अभ्यर्थियो को इस पोस्ट में निचे टेबल के रूप में दिया जा रहा है जिसे पढ़ने के बाद आप यह तय कर सकते है की B.Com All Semester में कौनसी Books होती है | B.Com Course आप 12th Class के बाद किसी भी University से कर सकते है |

B.Com Course 3 Year का होता है जिसमे आपको 6 Semester दिए जाते है यानी की आप हर वर्ष B.Com में 2 Semester Exam Paper देते है | दोस्तों यदि आप भी B.Com 1st Year, 2nd Year and 3rd Year की तैयारी कर रहे है तो आज की पोस्ट आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने जा रही है क्योकि आपको हमारी आने वाली पोस्ट में B.Com All Semester Books & Notes in PDF Free Download करने के लिए मिलने वाले है | अभ्यर्थी निचे दिए गये B.Com 1st Year Post को Topic Wise in Hindi PDF में Free Download कर सकते है जिसके लिए आपको किसी भी तरह का कोई भी शुल्क नही देना होगा |

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B.Com 1st Year Financial Accounting Chapter 6 PDF Download : B.Com 1st Year (Semester 1st & 2nd) Financial Accounting Book Chapter 6 Branch Accounts in Hindi PDF की आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थियो का फिर से स्वागत किया जाता है | दोस्तों आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थी B.Com First Year Financial Accounting Books & Notes topic 5 Branch Accounts in Hindi Free PDF में डाउनलोड करने जा रहे है जिसे आप निचे दिए गये टेबल के माध्यम से अपने मोबाइल या कंप्यूटर में हमेशा के लिए स्मभालकर रख सकते है |

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B.Com Financial Accounting Book PDF Post Share करने के लिए आप सभी अभ्यर्थियो ने हमें काफी समय बोला था जिसे आज हम शेयर कर रहे है | Financial Accoutering Book for B.Com 1st Year PDF हम आपको हर रोज Chapter Wise/Topic Wise Post शेयर कर रहे है जिसका लिंक हम एक दूसरी पोस्ट में भी डाल रहे है | अभ्यर्थियो को B.Com Financial Accoutning Study Material in Hindi & English दोनों ही भाषा में शेयर किया जा रहा है उम्मीद है आप सभी अभ्यर्थी हमारे द्वारा बनाई जा रही पोस्ट को अच्छे से पढ़े रहे होंगे |

हम सभी अभ्यर्थियो को कहना चाहते है की आने वाले समय में आपको B.Com Books & Notes for All Semester 1st, 2nd & 3rd Year in Hindi PDF Free Download करने के लिए मिलने वाली है जिसे आप हमारे वेबसाइट SscLatestNews.Com के माध्यम से प्राप्त कर सकते है | B.Com Course में पास होने के लिए आपको B.Com Previous Year Questions Answers Model Papers की आवश्यता होती है जिसे हम जल्द ही आपके लिए शेयर कर देंगे |

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B.Com 1st Year Financial Accounting Chapter 5 PDF Download : B.Com (Bachelor of Commerce) 1st Year Financial Accounting Book Chapter/Topic 5 Royalty Accounts in PDF Free Download करने के लिए अभ्यर्थी हमारे द्वारा बनाई जा रही आज की पोस्ट को आखिर तक पढ़े | दोस्तों हम अपनी आज की पोस्ट में आप सभी अभ्यर्थियो के लिए B.com Financial Books & Notes royalty Accounts Chapter in Hindi PDF Free Download करने के लिए लेकर आयें है जिसे आप सबसे निचे दिए गये टेबल के माध्यम से प्राप्त कर सकते है |

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हम अभ्यर्थियो को Financial Accounting Chapter 1, 2, 3, & 4 Post पहले ही शेयर कर चुके है जिसका लिंक भी हम आपको आज की पोस्ट में शेयर कर रहे है | B.Com Books PDF Free Download करने के लिए हमारी वेबसाइट SscLatestNews.Com एक बहुत ही महत्वपूर्ण वेबसाइट से आप हमारी वेबसाइट के माध्यम से B.Com Study Material से लेकर B.Com Previous Year Questions Answer Model Sample Paper in Hindi & English दोनों ही भाषा में Free PDF Download कर सकते है जिसका लिंक आपको सबसे उपर दिया हुआ है |

B.Com 1st Year Course में Financial Accounting Books को बहुत ही महत्व दिया जाता है और इसकी वजह यह है की आपको Financial Accounting Book के माध्यम से कारोबार को Maintain रखने के तरीके आ जाते है | आप B.Com Course सीखने के बाद अपने भविष्य को Accounts Line में बना सकते है जो आज के समय में बहुत ही अच्छा विकल्प माना गया है | Students को B.Com Course समझे के लिए जरूरी है की सबसे पहले आप B.Com 1st, 2nd & 3rd Year Syllabus PDF में Download कर उसे अच्छे से देखें | अभ्यर्य्थी निचे दिए गए लिंक के माध्यम से B.Com 1st Year Financial Accounting Books Chapter 5 royalty Accounts को PDF में Free Download कर सकते है |

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